दमोह: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो सदस्य ओंकार सिंह के साथ दमोह पहुंचे और सर्किट हाउस पर बाल कल्याण समिति के सदस्यों से मुलाकात के बाद स्थानीय संस्थानों का पर्यवेक्षण किया,इस दौरान वे क्रिश्चियन चिल्ड्रन होम और आधारशिला बाल भवन गए और अनियमितता पाई जिसके बाद वे पहले जबलपुर नाका चौकी पहुंचे इसके बाद देहात थाना गए जहां उन्होंने स्वयं एफ आई आर दर्ज करवाई और दस सदस्यों पर किशोर न्याय अधिनियम और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश के अंतर्गत प्रकरण दर्ज हुआ।
निरीक्षण और जायजा लेने के दौरान कानूनगो ने क्रिश्चियन रिलीजियस प्रेक्टिसिस सिखाए जाने और बच्चों को एडॉप्शन पर दे दिए जाने के बाद उन्हें वापस लाने पर आपत्ति जताई
और रिकार्ड खंगालते हुए कुछ फाइल्स जप्त भी की,साथ ही महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई कि जब इनका ट्रैक रिकॉर्ड खराब है तो बाल गृह चलाने की अनुशंसा क्यों की गई,इसके बाद उन्होंने पुनः चिल्ड्रन होम का जायजा और अनियमितता पाए जाने पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी को प्राथमिकी दर्ज करवाने के निर्देश दिए परंतु जब अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट में किस सेक्शन में क्या लिखा जाएगा तो कानूनगो स्वयं प्राथमिकी दर्ज करवाने थाने पहुंचे इसके बाद उन्होंने बताया कि वे औचक निरीक्षण पर थे,कुछ बाल संरक्षण विभाग के कर्मचारी और बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी इसमें शामिल है इसलिए आयोग ने स्वयं उपस्थित होकर एफ आई आर करवाई,पुलिस का सहयोग रहा जिससे निरीक्षण करने में सुलभता हुई।
एफआईआर में किया खुलासा
13/11/22 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के प्रियंक कानूनगो द्वारा एक आवेदन पत्र पेश किया जिसके अवलोकन पर पृथम दृष्टया अपराध धारा-370 भा.द.वि., किशोर न्याय अधि.की धारा-42 व धारा 75 व मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधि की धारा-3 एवं 5 का पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया जाता है। प्राथमिकी दर्ज हुई जिसमें यह भी दर्ज था कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह के साथ दमोह जिले के दौरे पर आये थे जहा बाइबिल सोसायटी का निरीक्षण करने पर एक 17 वर्षीय बालक मिला जो कि जिला डिण्डोरी का होकर क्रिश्चियन पादरी बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए किसी कृष्णा सिंह उर्फ नरेन्द्र बघेल के द्वारा भेजा गया था जो कि यहां हेनरी नामक व्यक्ति के पास रह कर पादरी बनने का प्रशिक्षण ले रहा है। नाबालिक बच्चो को बहला फुसलाकर उसकी पढाई से बिमुख कर इस तरीके से लाकर रखा जाना बाल दुर्व्यापार प्रतीत होकर पृथम दृष्टया आई.पी.सी. की धारा 370, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंबन दिखता है। अनुरोध है कि इस पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ करे।
इसी दौरे के अन्तर्गत हम दोनों व्यक्ति भडावारी स्थित मिड इंडिया क्रिश्चन मिशन के बाल गृह में निरीक्षण हेतु गए वहां पहुंचने पर बाल गृह के स्टाफ ने मैन गेट पर ताला लगा दिया एवं बच्चो को अन्दर रोलिंग सटर एवं चेनल गेट के भीतर हाल में बंद कर दिया बडी मुश्किल से पुलिस की सहायता से फैंसिंग के गेप में से किसी प्रकार हम लोग अन्दर जा सके। वहां पता चला कुल 91 बच्चे इस चिल्डरन होम में रहते हैं। जिनमें से मौके पर केवल 45 बच्चे मिले अधिकांस बच्चे हिन्दू है एक मुसलिम बच्चा भी मिला परंतु सभी बच्चो को जो कि दिव्यांग है संस्थान द्वारा क्रिश्चन धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को कमरो में बंद करके रखा गया था। संस्थान पंजीयन के कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नही करवा पाया। संस्थान की बैबसाईट का अवलोकन करने पर पता चला कि संस्था एवेन्जीलिकल गतिविधियों का संचालन करती है एवं खुले आम अपनी बैबसाईट पर घोषणा करती है कि वे दूसरे धर्म के बच्चों को संस्थान पर रखकर धर्मांतरित करने का काम करते हैं। बैबसाईट के अवलोकन व संस्था के दौरे से स्वात स्पष्ट है कि संस्था किशोर न्याय अधिनियम में पंजीकृत नहीं है यह धारा-41, 42 जे. जे. एक्ट का उलंघन है। बच्चो को विधि संगत व्यवस्था में न रखा जाना धारा 75 जे.जे. एक्ट का उलंघन है एवं बच्चो को उनके धर्म के अलावा दूसरे धर्म की शिक्षा दिया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का एवं मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्र अधि के प्रावधानों एवं भारतीय दण्ड विधान के विभिन्न प्रावधानों का उलंघन है।उपरोक्त संस्था के पदाधिकारी निम्न है अध्यक्ष विबर्तलाल, सचिव आरडी लाल, सदस्य श्रीमति शीला लाल,मंजूला वर्ननिवास, विवेक लाल,सानित लाल, जेके हेनरी, अर्निस्ट, इंजिला लाल, अजय लाल।
इसी तारतम्य में दमोह स्थित आधारशिला बालगृह बालक एवं बालिका का भी निरीक्षण किया जिसमे कार्यवाही योग्य उलंघनों की विस्तृत जानकारी आपको पुलिस अधीक्षक के माध्यम से प्रेषित की जायेगी। प्राथमिक रूप से अवलोकन में आया है। कि उपस्थित बच्चो से ईसाई धार्मिक प्रक्रियाओं में शामिल किया जा रहा है। बच्चो को ईसाई नाम देकर उनका भी धार्मिक स्वतंत्रा का अधिकार छीना गया जो कि मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्र अधि एवं किशोर न्याय अधि.के न्याय का उलंघन है।